दून की जनता को खूब भा रहा है इस अधिकारी का सिंघग अवतार, इन माफियाओं पर कसी नकेल ।
Dehradun DM Sambit Bansal Action against over rating school books and stationary in doon district, regular monitoring and action taken on book mafias, people appreciating DM Move.
पहली बार किसी जिले के डीएम का जनता के लिए फौरन फैसले लेना और जनहित के लिए लगातार काम करते हुए दिखना जनता को तो खूब पसंद आ रहा है, भले चंद लोगों की उनके इस नेक काम को लेकर त्योरियां चढ़ने लगी हो, लेकिन दून की जनता उनके हर फैसले को अपने सिर माथे पर रख रही है । दरअसल आजकल दून के डीएम संबित बंसल सिंगम फॉर्म में दिखाई दे रहे हैं, जनहित से जुड़ी हर समस्या पर डीएम साहब फौरन एक्शन ले रहे हैं, हाल ही में जब बच्चों का रिजल्ट आया और अभिभावक अपने बच्चों के लिए कॉपी किताब खरीदने दुकानों पर पहुंचे तो हर साल की तरह इस बार भी मुनाफाखोर लग गए थे उनकी गाढ़ी कमाई पर डाका डालने, लेकिन केवल एक शिकायत पर ही दून के डीएम ने कॉपी किताबों को ओवर रेट पर बेचने वालों के पैरों में नकेल कस दी है, आलम यें है कि अब ओवर रेटिग वालों के खिलाफ लगातार छापेमारी हो रही है, अब ये किताब माफिया अपने आकाओं की शरणों में हैं लेकिन बताया ये भी जा रहा है कि डीएम साहब के सिंगम अवतार के आगे इसबार आकाओं ने भी हथियार डाल दिए हैं, दून की जनता डीएम बंसल को दिल से दुवाएं दे रही है, जो काम इससे पहले वाले नहीं कर पाए इन्होंने तो कुर्सी संभालने के चंद दिनों के भीतर ही कर दिया, इससे ये बात साफ हो जाती है कि अगर अधिकारियों की नेक मंशा हो तो कोई भी जायज काम करने में कोई दिक्कत कभी होती ही नहीं है ।
दून की जनता को खूब भा रहा है इस अधिकारी का सिंघग अवतार, इन माफियाओं पर कसी नकेल ।
Dehradun DM Sambit Bansal Action against over rating school books and stationary in doon district, regular monitoring and action taken on book mafias, people appreciating DM Move.
प्रशासन के छापे में पकड़ी गई 20 किताबों में डुप्लीकेसी,नहीं मिले आइएसबीएन,आंखें सभी ने दिखाई,दम दिखा गए डीएम बंसल ।
छापेमारी के दौरान इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर या तो मिले नहीं या फर्जी नंबर पाए गए दर्ज ।
क्यूआर कोड के रूप में दर्ज इसी नंबर से होती है लेखक, पुस्तक के नाम, मूल्य और प्रकाशक आदि की पूरी जानकारी ।
शहर के विभिन्न बुक डिपो पर प्रशासन की छापेमारी में एक बड़ा गड़बड़झाला भी उजागर होता दिख रहा है। छापेमारी में न सिर्फ अभिभावकों के साथ की जा रही मनमानी और जीएसटी की चोरी पकड़ी गई, बल्कि फर्जी (डुप्लीकेट) किताबों की बिक्री का काला सच भी सामने आ रहा है। क्योंकि, नेशनल बुक हाउस, ब्रदर बुक डिपो और एशियन बुक डिपो में बिना आइएसबीएन (इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर) की किताबों की बिक्री भी पाई गई। तीनों बुक डिपो में ऐसी किताबों की संख्या 20 थीं। जिनमें या तो आइएसबीएन था ही नहीं या गलत नंबर दर्ज किया गया था। जिसका सत्यापन आनलाइन संभव नहीं हो पाया। इस सख्त कार्रवाई से एक बात यह भी निकलकर सामने आई है कि अभिभावकों से मनमानी को लेकर प्रत्येक नए शिक्षा सत्र में आंखें तो सभी अफसर दिखाते रहे, लेकिन छापेमारी और एफआईआर का दम सिर्फ जिलाधिकारी सविन बंसल ने दिखाया। इससे पहले कभी बुक डिपो संचालकों पर इतनी सख्त कार्रवाई नहीं की गई। प्रदेश में भी कहीं इस तरह का सख्त रुख सामने नहीं आ पाया।
दून की जनता को खूब भा रहा है इस अधिकारी का सिंघग अवतार, इन माफियाओं पर कसी नकेल ।
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आइएसबीएन (इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर) एक बार कोड की भांति किताबों पर लिखा होता है। इस नंबर से किसी भी किताब के लेखक, पुस्तक के मूल नाम, मूल्य, प्रकाशक का नाम और पृष्ठों की संख्या तक की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। वर्ष 2007 तक यह 10 अंकों का होता था, जबकि अब इसकी संख्या 13 होती है। इतने स्पष्ट मानक के बाद भी बिना आइएसबीएन या फर्जी नंबर के किताबों की बिक्री राजधानी दून में किया जाना गंभीर बात है। यह किताबें लगभग विद्यालयी शिक्षा की लगभग सभी कक्षाओं से संबंधित हैं। यानि लगभग सभी कक्षाओं में डुप्लीकेट या चहेते प्रकाशकों की किताबों का धंधा चलाया जा रहा है। ताकि उन्हें मनमर्जी के दाम पर बेचा जा सके। जिससे यह भी पता चलता है कि इस कारगुजारी को स्कूल प्रशासन का भी समर्थन रहता है।
स्कूल के नाम की कापी भी बेच रहे बुक डिपो ।
क्रास रोड स्थित एशियन बुक डिपो में दून कैंब्रिज स्कूल और सनराइज एकेडमी के नाम की कापी (नोट बुक) की बिक्री भी पाई गई। जिससे यह अंदेशा गहरा जाता है कि स्कूल कापी की खरीद के लिए निर्धारित बुक डिपो को अधिकृत कर अभिभावकों पर दबाव बनवा रहे हैं। छापेमारी से इतर भी कई स्टेशनरी संचालक ऐसा अवश्य कर रहे होंगे। जिनका नंबर भी देर-सबेर लग जाएगा।
दून की जनता को खूब भा रहा है इस अधिकारी का सिंघग अवतार, इन माफियाओं पर कसी नकेल ।